AJAY AMITABH Takip et

Advocate, Author and Poet Delhi, India.
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KATILDI Oca 10, 2021

Hikayelerim

धरती पर ले आता कौन!

Doğrulanmamış Hikaye ईश्वर की शक्ति असीम और अपरम्पार है। सूरज की रोशनी आखिर धरती पर कैसे पहुंचती है। धरती अनेक मौसम आते हैं। परंतु उनको बारी बारी से एक क्रम में कौन लाता है? धरती को और सौर मंडल के अनेक तारों और ग्रहों को कौन थामे रहता है? आखिर कौन है वो शक्ति?ईश्वर की असीम श...
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Sparks of Consciousness

These are collections of poems written by me especially which touches the spirituality, Philosophy, Nature, Human understanding, Religion, Politics as also humour.
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चेतना के अंकुर

मेरे जीवन में बहुत सारी ऐसी घटनाएँ घटती है जो मेरे ह्रदय को आंतरिक रूप से उद्वेलित करती है। मै बहिर्मुखी स्वाभाव का हूँ और ज्यादातर मौकों पर अपने भावों का संप्रेषण कर हीं देता हूँ। फिर भी बहुत सारे मुद्दे या मौके ऐसे होते है जहाँ का भावो का संप्रेषण नहीं ...
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गदा हनुमान जी की

Doğrulanmamış Hikaye हनुमान जी का चरित्र आम जन मानस में एक प्रभु श्री राम भक्त, ज्ञानी और अति शक्तिशाली योद्धा के रूप में व्याप्त है। उन्हें पूज्यनीय ऐसे हीं नहीं माना जाता है। एक शक्तिशाली योद्धा के रूप में उनके पास हथियार की परिकल्पना करना कोई अतिशयोक्ति नहीं हैं।जाहिर सी बात है ...
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दुर्योधन कब मिट पाया

जब सत्ता का नशा किसी व्यक्ति छा जाता है तब उसे ऐसा लगने लगता है कि वो सौरमंडल के सूर्य की तरह पूरे विश्व का केंद्र है और पूरी दुनिया उसी के चारो ओर ठीक वैसे हीं चक्कर लगा रही है जैसे कि सौर मंडल के ग्रह जैसे कि पृथ्वी, मांगल, शुक्र, शनि इत्यादि सूर्य का चक्कर ...
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दूसरी सुर्पनखा:राक्षसी अधोमुखी

Doğrulanmamış Hikaye लक्ष्मण जी द्वारा राक्षसी सुर्पनखा के नाक और कान काटने की घटना सर्वविदित है। वाल्मिकी रामायण में एक और राक्षसी का वर्णन किया गया है जिसके नाक और कान लक्ष्मण जी ने सुर्पनखा की तरह हीं काटे थे। परंतु दोनों घटनाओं में काफी कुछ समानताएं होते हुए भी काफी कुछ असमा...
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एकलव्य:महाभारत का महाउपेक्षित महायोद्धा

Doğrulanmamış Hikaye #एकलव्य #महाभारत #श्रीकृष्ण #कर्ण #जरासंध #शिशुपाल #परशुराम #भीष्मपितामह #द्रोणाचार्य #अर्जुन #पौराणिक एकलव्य :महाभारत का महाउपेक्षित महायोद्धा महाभारत में अर्जुन , भीम , भीष्म पितामह , गुरु द्रोणाचार्य , कर्ण , जरासंध , शिशुपाल अश्वत्थामा आदि पराक्रमी योद्धाओं क...
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रावण,परशुराम और सीता स्वयंवर

Doğrulanmamış Hikaye सीताजी की स्वयंवर में अनगिनत राजाओं , महाराजाओ की उपस्थिती के बारे में अनगिनत कहानियाँ प्रचलित है । ऐसा माना जाता है , शिवजी का भक्त होते के नाते रावण भी सीताजी की स्वयंवर में आया था। ये बात भी प्रचलित है कि शिवजी के धनुष के टूटने के बाद भगवान श्री पर...
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Fear From Freedom

Doğrulanmamış Hikaye Look, my brother, the peacock further said, man does not want to live in freedom but in a chain made by himself. You imitated man, man drew a cage line for you too.
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चंद्रगुप्त की जुबानी , भगवान श्रीकृष्ण की कहानी

Doğrulanmamış Hikaye जिस प्रकार भारतीय धर्मग्रंथों को ऐतिहासिक रूप से प्रमाणिक नहीं माना जाता रहा है ठीक उसी प्रकार इन धर्मग्रंथों में दिखाए गए महान व्यक्तित्व भी। इसका कुल कारण ये है कि इन धर्मग्रंथों को कभी भी पश्चिमी इतिहासकारों के तर्ज पर समय के सापेक्ष तथ्यात्मक रूप से प्रस्तुत न...
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सच्चाई लक्ष्मण रेखा की

Doğrulanmamış Hikaye आम बोल चाल की भाषा में जब वाद विवाद के दौरान कोई अपनी मर्यादा को लांघने लगता है, अपनी हदें पार करने लगता है तब प्रायः उसे लक्ष्मण रेखा नहीं पार करने की चेतावनी दी जाती है। आखिर ये लक्ष्मण रेखा है क्या जिसके बारे में बार बार चर्चा की जाती है? आम बोल चाल ...
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वर्तमान से वक्त बचा लो [भाग6]

Doğrulanmamış Hikaye एक व्यक्ति का व्यक्तित्व उस व्यक्ति की सोच पर हीं निर्भर करता है। लेकिन केवल अच्छा विचार का होना हीं काफी नहीं है। अगर मानव कर्म न करे और केवल अच्छा सोचता हीं रह जाए तो क्या फायदा। बिना कर्म के मात्र अच्छे विचार रखने का क्या औचित्य? प्रमाद और आलस्य एक पुरुष के लिए स...
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डर आजादी का

Doğrulanmamış Hikaye मन मसोसते हुए मोर बाग में लौट गया। मोर को हंसी आ रही थी। उसको साफ साफ दिखाई पड़ रहा था कि इतने दिनों तक आदमी के साथ रहने के कारण शायद मैना को भी आदमी वाला रोग लग गया है। आदमी की नकल करते करते शायद मैना की अकल भी आदमी के जैसे हीं हो गई थी। आदमी ना ...
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अंधे का बेटा अंधा

Doğrulanmamış Hikaye महाभारत की कहानी पर आधारित अनगिनत टेलीविज़न सीरियल और फ़िल्में अनगिनत भाषाओँ में बनाई गई हैं और इन सारी कहानियों में द्रौपदी द्वारा दुर्योधन के मजाक उड़ाए जाने को दिखाया गया है। लेकिन क्या वास्तव में उनका दावा वास्तव में महाभारत ग्रन्थ में लिखी गई तथ्यों पर ...
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वर्तमान से वक्त बचा लो [पंचम भाग ]

Doğrulanmamış Hikaye विवाद अक्सर वहीं होता है, जहां ज्ञान नहीं अपितु अज्ञान का वास होता है। जहाँ ज्ञान की प्रत्यक्ष अनुभूति होती है, वहाँ वाद, विवाद या प्रतिवाद क्या स्थान ? आदमी के हाथों में वर्तमान समय के अलावा कुछ भी नहीं होता। बेहतर तो ये है कि इस अनमोल पूंजी को वाद, प्र...
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चार्वाक महाभारत का

Doğrulanmamış Hikaye महाभारत युद्ध के समाप्ति के उपरांत जब युद्धिष्ठिर का राज्यारोहण होने वाला होता है तब एक चार्वाक का जिक्र आता है जो दुर्योधन का मित्र होता है। उसे चार्वाक राक्षस के रूप में भी संबोधित किया जाता है। क्या कारण है कि दुर्योधन का एक मित्र जो कि नस्तिकतावादी दर्शन का ...
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मान गए भई पलटूराम

Doğrulanmamış Hikaye इस सृष्टि में बदलाहटपन स्वाभाविक है। लेकिन इस बदलाहटपन में भी एक नियमितता है। एक नियत समय पर हीं दिन आता है, रात होती है। एक नियत समय पर हीं मौसम बदलते हैं। क्या हो अगर दिन रात में बदलने लगे? समुद्र सारे नियमों को ताक पर रखकर धरती पर उमड़ने को उतारू हो...
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तुझे शर्म नहीं आती?

भुट्टे वाले ने कहा , भाई साहब किसी को धोखा दिया नहीं , झूठ बोला नहीं और मेरे उपर लोन भी नहीं है , फिर काहे का शर्म ? मेहनत और ईमानदारी से हीं तो कमा रहा हूँ , कोई गलत काम तो नहीं कर रहा । लोगो को चुना तो नहीं लगा रहा ? ऑफिस में काम करते वक्त उसकी बा...
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वज्र तन दुर्योधन

जब भीम दुर्योधन को किसी भी प्रकार हरा नहीं पा रहे थे तब भगवान श्रीकृष्ण द्वारा निर्देशित किए जाने पर युद्ध की मर्यादा का उल्लंघन करते हुए छल द्वारा भीम ने दुर्योधन की जांघ पर प्रहार किया जिस कारण दुर्योधन घायल हो गिर पड़ा और अंततोगत्वा उसकी मृत्यु हो गई। प्रश्न ये...
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Story Garden

These are collections of small stories written by me.
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What you are ashamed of

Doğrulanmamış Hikaye The answer he gave made me restless. It is like that every man sitting in a high position in the office does not lie, does not cheat or does not act dishonestly? And if he does, why isn't he ashamed?
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भय कर्ण का भीम से

इस बात में कोई संशय नहीं कि महारथी कर्ण एक महान योद्धा थे और एक बार उन्होंने महाभारत युद्ध के दौरान भीमसेन को एक बार हराया भी था. परन्तु महाभारत युद्ध के दौरान एक ऐसा भी पल आया था , जब महारथी कर्ण में मन में भीमसेन का पराक्रम देख कर भय समा गया था . महाभार...
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पहली मुलाकात:कर्ण की दुर्योधन से

ये बात तो तय है कि दुर्योधन की पहली मुलाकात कर्ण से उस युद्ध कीड़ा के मैंदान में नहीं बल्कि काफी पहले हीं हो गई थी। बचपन से दोनों एक दुसरे के परिचित थे और साथ साथ हीं द्रोणाचार्य से शिक्षा भी ग्रहण कर रहे थे
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Blog Hikayesi

मेरे गाँव में शामिल हुआ है थोड़ा सा शहर

इस सृष्टि में कोई भी वस्तु बिना कीमत के नहीं आती, विकास भी नहीं। अभी कुछ दिन पहले एक पारिवारिक उत्सव में शरीक होने के लिए गाँव गया था। सोचा था शहर की दौड़ धूप वाली जिंदगी से दूर एक शांति भरे माहौल में जा रहा हूँ। सोचा था गाँव के खेतों में हरियाली के ...
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ओहदा

ओहदा और बुद्धिमता के बीच की लकीर काफी पतली और क्षीण होती है । मात्र ओहदे से इज्जत नहीं मिलती, सम्मान नही मिलता, बुद्धिमता हासिल नहीं होती, इसे सतत अभ्यास और परिश्रम करके अर्जित करना पड़ता है।
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गलत कौन

सवाल ये नहीं है कि गौतम बुद्ध के द्वारा सुझाये गए सत्य और अहिंसा के सिद्धांत सही है या गलत। सवाल ये है कि क्या आप उनको पालन करने के लिए सक्षम है या नहीं?
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हौले कविता मैं गढ़ता हूँ

#आत्म_कथ्य #Mind #Confession #2linesonly #2liners #Spiritual #Micro_poetry
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कह भी दो

मानव स्वभाव पर प्रकाश डालती एक मनोवैज्ञानिक कहानी।
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THE REBEL

On this Republic Day, let the Indian be reminded of an Indian young man who, despite the fact that he was about to be executed in a matter of hours, was preoccupied with finishing a chapter of a book he adored.
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एक दफ्तर का धार्मिक भेड़िया

दफ्तर का जीवन किसी जंगल से कम नहीं । जैसे जंगल में जीने के लिए चालाकी और चपलता जरुरी है , ठीक वैसे हीं दफ्तर में एक कर्मचारी को मजबूत बनना पड़ता है  । दफ्तर  के कायदे कानून एक हिरण को भी भेड़िया बनने को बाध्य कर देते हैं  । लेकिन एक भेड़िया होकर भी कोई धर्...
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मर्ज एक औरत का

जब मर्ज झूठा हो तो उसका इलाज सच्चा कैसे हो सकता है? मानव मस्तिष्क के मनोविज्ञान पर प्रकाश डालती हुई कहानी।
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एक मेटल की जीवनी

ये कहानी मेरे और मेरे बेटे आप्तकाम के वार्ता पर आधारित है जहाँ पर मैंने अपने बेटे को जग्गी वासुदेव के आत्म साक्षात्कार के  अनुभूति को समझाने का प्रयास किया था।
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वो सिगरेट पीती लड़की

धूम्रपान करने वाली लड़कियों और स्त्रियों को प्रशंसा की नजर से देखने को नही कहता। परंतु इन्हें हिक़ारत की नजर से देखना कहाँ तक उचित है?
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