साथ-साथ मैं कहानी को कैसा मोड़ दूं. कैसे पात्र डालूं. यह भी अपनी राय इनबॉक्स में मुझे भेजते रहिए. धन्यवाद. मेरा नाम सूरज प्रताप सिंह है. मेरे पिताजी एक छोटी सी रियासत के राजा थे. मैंने बाहर के देश में जाकर बड़ी - बड़ी डिग्रियां प्राप्त की. मैं पढ़ने में बचपन से ही बहुत अच्छा था. मैंने सभी आधुनिक हथियारों की भी शिक्षा ली.
आधुनिक टेक्नोलॉजी की भी शिक्षा ली. वैसे मैं अपने कॉलेज में हमेशा फर्स्ट आता था. अपनी शिक्षा - दीक्षा विदेश में प्राप्त कर मैं अपने देश वापस आया मैंने देखा कि मेरे देश की स्थिति बड़ी कमजोर है, गरीबी बहुत है, अर्थव्यवस्था कमजोर है.
हालांकि मेरे छ: भाई और थे और 6 बहिनें भी थी. लेकिन पिताजी ने मेरी योग्यता देखकर मुझे ही युवराज बनाया. मेरे भाई - बहन मेरे युवराज बनने से बहुत खुश हुये. युवराज बनते ही राज्य के लगभग 90% अधिकार मेरे हाथों में आ गये. पिताजी केवल सिंहासन पर बैठ कर एक तरफ से आराम ही करते थे.
युद्ध व अर्थनीति आदि सभी काम में ही देखता था. मैंने अपने भाई - बहनों में भी कुछ काम बांट दिए. मैंने अपने भाई - बहनों में भी उनकी योग्यता के अनुसार कुछ कार्य बांट दिये. मैंने पूरे राज्य में एक विराट प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित करवाई और कई योग्य व्यक्तियों को प्राप्त किया. योग्य व्यक्तियों को मैंने अलग - अलग विभाग बना कर उन में समायोजित कर दिया.
सबसे पहले मैंने देश की जनसंख्या कंट्रोल में की. इसके बाद मैंने आयात पूरी तरह बंद कर दिया. केवल कुछ आवश्यक वस्तुओं का आयात मैंने जारी रखा. इससे हमारी अर्थव्यवस्था संकट से निकल गई. अब मैंने विदेशी कर्जा कर्जा चुकता कर दिया.
अब मैंने अपनी सेना का आधुनिकीकरण करवाया. धीरे - धीरे मेरी सेना विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में शुमार हो गई. इसके बाद मैंने अपने महल और अपनी राजधानी का रेनोवेशन करवाया.
मेरी राज्य में हर नागरिक को वस्त्र, मकान, खाना व रोजगार उपलब्ध हो. यह सुनिश्चित किया. राज्य के हर विभाग का मैंने आधुनिकीकरण करवाया. कुछ ही समय में मेरी छोटी सी रियासत विश्व की अग्रणी व विकसित रियासत में बदल गई.
टेलीबेन एक उग्रवादी संगठन था. इन लोगों का वंश राक्षस राज कुत्ता खान से था. कुत्ता खान बहुत हिंसक प्रवृत्ति का था. इसलिए इस के वंशज भी उग्रवादी और हिंसक हुए. टेलीबेन ने गांधार देश पर कब्जा कर लिया. गांधार देश के बगल में मेरा ही देश था.
टेलीबेन की लगभग दो लाख की सेना थी. मेरे पास लगभग 10 लाख की अत्याधुनिक जबरदस्त फौज थी. मैंने सर्वप्रथम अपने देश में मौजूद टेलीबेन के सभी जासूस और मित्रों को पकड़कर मृत्युदंड दे दिया. अब टेलीबेन बहुत कमजोर पड़ गया. उसके बाद मैंने अपनी मात्र 10 हजार की एक स्पेशल कमांडो टुकड़ी टेलीबेन का अंत करने के लिए भेजी. 1 महीने के अंदर ही मेरी इस खतरनाक टुकड़ी ने टेलीबेन का विनाश कर दिया.
इस तरह राजधर्म का पालन करते हुए मैंने टेलीबेन का अत्यंत क्रूरता और नृशंशता पूर्वक खात्मा करवा दिया.
पिताजी काफी वृद्ध हो चुके थे और वह मेरे कार्यों से बहुत खुश भी थे. इसलिए उन्होंने अब मुझे युवराज से राजा बना दिया और मेरा राज्याभिषेक कर दिया.
राजा बनते ही मैंने जी जान से अपने राज्य को और विकसित करने की ठान ली. फल स्वरुप मेरा राज्य अति विकसित हो गया. हमारे राज्य में गरीबी का नाम निशान भी ना रह गया. छोटा सा छोटा व्यक्ति भी अत्यंत अमीर हो गया. साथ ही साथ मैंने सारे राज्य में एक अच्छे धर्म की स्थापना भी की. जिससे सारे राज्य के लोग बहुत ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के भी हो गये.
मैंने अपने राज्य में उन्नत तरीके से खेती करवाई. उन्नत पशु नस्लों का विकास करवाया. इससे मेरे राज्य में दूध - दही की नदियां बहने लगी और अन्न की अत्यधिक पैदावार होने लगी.
अब मेरा देश अन्न धन और हर किस्म की संपत्ति में आत्मनिर्भर हो गया. मेरा देश पुनः सोने की चिड़िया बन गया.
सबके लिए मैंने आधुनिक वेशभूषा व आधुनिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया.
मेरी उम्र लगभग 30 वर्ष हो चुकी थी. मेरे पिताजी और राजमाता ने मुझसे विवाह का अनुरोध किया. उस समय उम रेका देश की राजकुमारी का स्वयंवर चल रहा था. उमरेका देश के लोग बहुत ही लंबे - चौड़े और गौरवर्ण के होते थे.
मैं भी स्वयंवर में गया. स्वयंवर में 20 पहलवानों से एक फ्री स्टाइल कुश्ती अकेले ही लड़नी पड़ती थी. मैंने वह कुश्ती जीत ली. उमरेका देश की राजकुमारी ने जय माल मेरे गले में डाल दी.
Thank you for reading!
We can keep Inkspired for free by displaying Ads to our visitors. Please, support us by whitelisting or deactivating the AdBlocker.
After doing it, please reload the website to continue using Inkspired normally.