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#एकलव्य #महाभारत #श्रीकृष्ण #कर्ण #जरासंध #शिशुपाल #परशुराम #भीष्मपितामह #द्रोणाचार्य #अर्जुन #पौराणिक
एकलव्य :महाभारत का महाउपेक्षित महायोद्धा
महाभारत में अर्जुन , भीम , भीष्म पितामह , गुरु द्रोणाचार्य , कर्ण , जरासंध , शिशुपाल अश्वत्थामा आदि पराक्रमी योद्धाओं के पराक्रम के बारे में अक्सर चर्चा होती रहती है। किसी भी साधारण पुरुष के बारे में पूछें तो इनके बारे में ठ…
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Les recomendó leer mejor la historia y precensiar los acontecimientos que pasan, ya que no se me ocurre una descripción.
Aclaro que las imágenes, no me pertenecen y dicho eso, comencemos.
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रमन अपने पिता जी के साथ एक छोटे से मकान में रहता है l वो एक बड़ी सी कंपनी मैं फाइनेंसियल एडवाइजर है l कल उसको एक प्रेजेंटेशन तैयार करनी है जिससे कि उसकी प्रमोशन भी हो सकती है l वो 🎒बैग से अपना लैपटॉप निकालता है पर किसी कारण वो चलता नहीं l रमन बहुत टेंशन मैं हो जाता है वो सोचता है कि अब क्या करूं इसका कीबोर्ड भी अभी खराब होना था l
उसके पिता जी उससे पू…
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Una madre que no descansará hasta encontrar a su asesino junto con su hijo.
La madre recorrerá aventuras trayendo de averiguar qué pasó los últimos momentos antes de morir
बहुत समय से भारत के, जानवरों से भरे एक जंगल में, जानवरों की सभा नहीं हुई थी। बुजुर्ग जानवर चिंतित थे कि नयी पीढ़ियाँ अपने गौरवशाली इतिहास को भूलती जा रहीं थी। उन्होने एक सभा करने का निर्णय लिया।
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En el reino medieval de Pliomorland XIV, un lugar envuelto en misterios y leyendas, Lord Aldéric se ve enfrentado a sombras antiguas que amenazan con sumir su tierra en la oscuridad. Con rumores de susurros nocturnos y sombras danzantes, convoca a Sir Gideon, el valiente caballero, y a un grupo selecto de guerreros para desentrañar el enigma.
La…
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2 फ्रेंड करन और मयंक अपने बेस्ट फ्रेंड रंजीत के शादी में गुजरात बाय ट्रेन जाते है।
पर उस ट्रेन में मयंक का बेस्ट फ्रेंड रंजीत की दुल्हन दिशा से मयंक को प्यार हो जाता है।
मल्टिव्हर्स... हे खरं आहे का नाही माहित नाही. पण आशिष त्याने असं काही अनुभवले कि आता सर्व काही खरं आहे असं वाटू लागले. एका प्रेमाची अशी कहानी जी कधी ऐकली नसेल ना कुठे वाचली असाल. पण आता वाचा आशिषच्या प्रवासाची ही कहानी.
ये बात तो तय है कि दुर्योधन की पहली मुलाकात कर्ण से उस युद्ध कीड़ा के मैंदान में नहीं बल्कि काफी पहले हीं हो गई थी। बचपन से दोनों एक दुसरे के परिचित थे और साथ साथ हीं द्रोणाचार्य से शिक्षा भी ग्रहण कर रहे थे