भुट्टे वाले ने कहा , भाई साहब किसी को धोखा दिया नहीं , झूठ बोला नहीं और मेरे उपर लोन भी नहीं है , फिर काहे का शर्म ? मेहनत और ईमानदारी से हीं तो कमा रहा हूँ , कोई गलत काम तो नहीं कर रहा । लोगो को चुना तो नहीं लगा रहा ?
ऑफिस में काम करते वक्त उसकी बातें यदा कदा मुझे सोचने पर मजबूर कर हीं देती हैं , किसी को धोखा दिया नहीं , झूठ बोला नहीं और मेरे उपर ल…
जब भीम दुर्योधन को किसी भी प्रकार हरा नहीं पा रहे थे तब भगवान श्रीकृष्ण द्वारा निर्देशित किए जाने पर युद्ध की मर्यादा का उल्लंघन करते हुए छल द्वारा भीम ने दुर्योधन की जांघ पर प्रहार किया जिस कारण दुर्योधन घायल हो गिर पड़ा और अंततोगत्वा उसकी मृत्यु हो गई। प्रश्न ये उठता है कि आम मानव का शरीर तो वज्र का बना नहीं होता , फिर दुर्योधन का शरीर वज्र का कैसे बन गया था? उसका…
इस बात में कोई संशय नहीं कि महारथी कर्ण एक महान योद्धा थे और एक बार उन्होंने महाभारत युद्ध के दौरान भीमसेन को एक बार हराया भी था. परन्तु महाभारत युद्ध के दौरान एक ऐसा भी पल आया था , जब महारथी कर्ण में मन में भीमसेन का पराक्रम देख कर भय समा गया था . महाभारत महाग्रंथ के कर्ण पर्व के चतुरशीतितमोध्याय अर्थात अध्याय संख्या 84 के श्लोक संख्या 1 से श्लोक संख्या 14 में इस …
अक्सर मंदिर के पुजारी व्यक्ति को जीवन के आसक्ति के प्रति पश्चताप का भाव रख कर ईश्वर से क्षमा प्रार्थी होने की सलाह देते हैं। इनके अनुसार यदि वासना के प्रति निरासक्त होकर ईश्वर से क्षमा याचना की जाए तो मरणोपरांत ऊर्ध्व गति प्राप्त होती है। व्यक्ति डरकर दबी जुबान से क्षमा मांग तो लेता है परन्तु उसे अपनी अनगिनत वासनाओं के अतृप्त रहने का अफसोस होता है। वो पश्चाताप जो केवल…
अमर गीता एक व्यावहारिक, प्रेरणादायक, आध्यात्मिक , समृद्धता से संबंधित पुस्तक है।
अमर गीता,
युवाओं(14 - 30 साल की उम्र ) ,
मध्यम आयु (30-40 वर्ष की आयु )
और 40 + से 80+ ,
के लिए जीवन मार्गदर्शक है।
बहुत समय से भारत के, जानवरों से भरे एक जंगल में, जानवरों की सभा नहीं हुई थी। बुजुर्ग जानवर चिंतित थे कि नयी पीढ़ियाँ अपने गौरवशाली इतिहास को भूलती जा रहीं थी। उन्होने एक सभा करने का निर्णय लिया।
गुरुजी से हमेशा कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। पर इस बार इस कहानी को पढ़कर आपको जीवन के कुछ महत्वपूर्ण बातें सीखने को मिलेगी, और साथ ही साथ कैसे एक लड़के ने मज़ेदार तरीके से उसे अमल किया है। अच्छी शिक्षा और मज़ेदार कहानी! जानिए कैसे एक लड़के ने अपनी बुद्धि का इस्तमाल कर कुछ बड़ा हासिल किया!
जब नलिनी की खूबसूरती उसकी दुश्मन बनती है तो हर नज़र उसके कपड़ों के अंदर झाँकती है लेकिन वो किसी तरह इस वहशी समाज में रह रही थी, समाज के उन भूखे भेड़ियों से बचकर लेकिन आज उसका सामना हुआ ऐसी मुसीबत से जो उसके जिस्म को नोंचकर खा जाएगा और कोई उसका सामना नहीं कर सकता।
कैसे बचेगी नलिनी की आबरू? या बन जाएगी वो उसकी हवस का शिकार?
क्या करेगी वह जब मुसीबत देगी उ…
जब सत्ता का नशा किसी व्यक्ति छा जाता है तब उसे ऐसा लगने लगता है कि वो सौरमंडल के सूर्य की तरह पूरे विश्व का केंद्र है और पूरी दुनिया उसी के चारो ओर ठीक वैसे हीं चक्कर लगा रही है जैसे कि सौर मंडल के ग्रह जैसे कि पृथ्वी, मांगल, शुक्र, शनि इत्यादि सूर्य का चक्कर लगाते हैं। न केवल वो अपने हर फैसले को सही मानता है अपितु उसे औरों पर थोपने की कोशिश भी करता है। नतीजा …
मेरे जीवन में बहुत सारी ऐसी घटनाएँ घटती है जो मेरे ह्रदय को आंतरिक रूप से उद्वेलित करती है। मै बहिर्मुखी स्वाभाव का हूँ और ज्यादातर मौकों पर अपने भावों का संप्रेषण कर हीं देता हूँ। फिर भी बहुत सारे मुद्दे या मौके ऐसे होते है जहाँ का भावो का संप्रेषण नहीं होता या यूँ कहें कि हो नहीं पाता। यहाँ पे मेरी लेखनी मेरा साथ निभाती है और मेरे ह्रदय ही बेचैनी को जमान…
ओहदा और बुद्धिमता के बीच की लकीर काफी पतली और क्षीण होती है । मात्र ओहदे से इज्जत नहीं मिलती, सम्मान नही मिलता, बुद्धिमता हासिल नहीं होती, इसे सतत अभ्यास और परिश्रम करके अर्जित करना पड़ता है।
दफ्तर का जीवन किसी जंगल से कम नहीं । जैसे जंगल में जीने के लिए चालाकी और चपलता जरुरी है , ठीक वैसे हीं दफ्तर में एक कर्मचारी को मजबूत बनना पड़ता है । दफ्तर के कायदे कानून एक हिरण को भी भेड़िया बनने को बाध्य कर देते हैं । लेकिन एक भेड़िया होकर भी कोई धर्मिक रह सकता है क्या ?
ये कहानी मेरे और मेरे बेटे आप्तकाम के वार्ता पर आधारित है जहाँ पर मैंने अपने बेटे को जग्गी वासुदेव के आत्म साक्षात्कार के अनुभूति को समझाने का प्रयास किया था।
ये बात तो तय है कि दुर्योधन की पहली मुलाकात कर्ण से उस युद्ध कीड़ा के मैंदान में नहीं बल्कि काफी पहले हीं हो गई थी। बचपन से दोनों एक दुसरे के परिचित थे और साथ साथ हीं द्रोणाचार्य से शिक्षा भी ग्रहण कर रहे थे